यहाँ मैं आपको सरल भाषा में बताऊंगा की क्या है ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी और यह किस तरह से आने वक्त में हमारे जीवन पर प्रभाव डालेगा। इस आलेख में आगे आप पढ़ेंगे, किस तरह ब्लॉक चैन तकनीक काम करती है। इसमें सुरक्षा के क्या उपाय है। और क्रिप्टो करेंसी, जैसे की बिटकॉइन – का क्या लेना देना है ब्लॉक चैन तकनीक से। साथ ही क्यों भारत सरकार ब्लॉक चैन तकनीक को अपनाने की तैयारी में है लेकिन बिटकॉइन खरीदने बेचने वाले को जेल भेज रही है। जब बिटकॉइन, जो ब्लॉक चैन तकनीक का ही इस्तेमाल करती है, को रखना अपराध है तो फिर ब्लॉक चैन तकनीक कैसे सही है। क्या है पूरा गड़बड़ झाला।

चलिए शुरू से शुरू करते है। हमारी दो दुनिया है। एक फिज़िकल वर्ल्ड यानि ऐसी दुनिया, जहाँ आप चीजों छू सकते है पकड़ सकते है। और एक है डिजिटल दुनिया, जहाँ आप सिर्फ चीजों देख सकते है। उसे छू नहीं सकते। आप के हाथ में सौ रुपए का नोट है यह है फिजीकल करेंसी। आपके खाते में 500 रुपए है जिसे आप इंटरनेट बैंकिंग से कंप्यूटर या फिर मोबाइल में देखते है। यह है डिजिटल करेंसी। आप उस 500 रुपए को छू नहीं सकते। लेकिन वह आपके पास है।

सालों का इतिहास कहता है कि, फिजिकल या यों कहिये वास्तविक दुनिया में लेन देन के तरीको में भी काफी परिवर्तन हुवा है। एक वक्त था की लेन देन में सामान के बदले सामान मिलता था। कपड़ा बुनने वाले, किसानों को कपड़ा देते थे और बदले में अनाज लेते थे। फिर आया सिक्कों का चलन। अब हमलोग सिक्कों के साथ कागज/प्लास्टिक के मुद्रा का इस्तेमाल करते है लेनदेन के लिए।

जब इंटरनेट आया तो हमारी वास्तविक दुनियाँ से इतर एक नयी दुनियाँ का निर्माण हुवा जिसे हम डिजिटल दुनियाँ कहते है। डिजिटल दुनिया में लेनदेन के लिए आया इंटरनेट बैंकिंग। अगर मुझे आपको 100 रुपए देने है तो दो तीन चरण की प्रकिया पूरी करनी होगी, और आपको आपके खाते  में 100 रुपए चले जायेंगे। मेरे खाते से 100 रुपए कम और आपके खाते में 100 रुपए बढ़ जायेंगे।

जिस तरह वास्तविक दुनियाँ में लेन देन में अपनाये जाने वाले तरीकों का क्रमिक विकास हुवा, वही अब डिजिटल दुनियाँ में हो रहा है। इंटरनेट बैंकिंग के बाद अब आया है ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी। यह तकनीक इंटरनेट के इस्तेमाल को एक नए स्तर ले जायेगा। इस टेक्नोलॉजी में इतना दम है अगले 20 से 25 साल में दुनिया बहुत हद तक बदल जाएगी।

तो क्या सब कुछ अच्छा हो जायेगा इस तकनीक के आने से । कभी नहीं। यह कलयुग है – बुराई फिर भी ऊपर ही रहेगा अच्छाई से। अभी तो इस टेक्नोलॉजी की सिर्फ चर्चा है। जब यह आम इस्तेमाल में आएगा तब ही इसकी कमियों का पता चलेगा। अभी तकनीक गुरु चाहे जीतनी भी इस तकनीक की तारीफ करें, मैं नहीं मानूँगा की यह तकनीक पूरी तरह से सुरक्षित है। हाँ, यह जरूर है कि वर्त्तमान में इस्तेमाल किये जाने वाले इंटरनेट बैंकिंग तकनीक से यह कई गुणा बढ़िया और सुरक्षित है।

☼ ब्लॉक चैन तकनीक का इतिहास

विकिपीडिया के अनुसार 1991  में स्टुअर्ट हबेर और स्कॉट स्टोरनेटा ने इस तकनीक का प्रारूप बताया था। अगले साल तक इस तकनीक को एक आधार दिया गया इस्तेमाल करके।

ब्लॉक चैन तकनीक को कंप्यूटर लेब से बाहर, एक पहचान मिला जब सातोशी नकामोटो ने इसको आधार बना कर क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन को लाया। पिछले कुछ सालों में बिटकॉइन करेंसी के कीमत में आये उछाल ने, इंटरनेट बैंकिंग से इतर, डिजिटल करेंसी की संभावना को एक पहचान दी आम जनता के बीच। और साथ ही ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी के पहचान को भी एक आधार मिला।

क्या है क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन? बिटकॉइन के दो भाग है। पहला, इसका लेनदेन कैसे होता है। और दूसरा, एक बिटकॉइन का निर्माण कैसे होता है। बिटकॉइन लेनदेन के लिए ब्लॉक चैन तकनीक का इस्तेमाल करती है। लेकिन इसको तैयार, अगर सरल भाषा में कहा जाये तो, ठीक उसी तरह होता है जैसेकि एक वक्त, हरेक देश अपनी मुद्रा की कीमत तय करती थी, सोना के रिजर्ब से। बिटकॉइन के लिए आपको डिजिटल खुदाई करनी होती है। जैसे बहुत खुदाई के बाद थोड़ा सोना मिलता है खदान में, ठीक वही प्रक्रिया है बिटकॉइन पाने का। महीनों डिजिटल खुदाई के बाद कुछ बिटकॉइन मिलते है।

क्यों बिटकॉइन घातक है? क्यों बिटकॉइन खरीदने वाले को सरकार जेल भेज रही है?

बिटकॉइन कितना खतरनाक है इसका एक उदाहरण कुछ महीनें पहले मिला, जब सरकार को पुरे देश के एटीएम पर ताला लगाना पड़ा। रैनसमवेयर एक इंटरनेट जनित वायरस था जो किसी कंप्यूटर को लॉक कर सकता था। उस वायरस का कण्ट्रोल कहीं से कोई कर रहा था। कंप्यूटर से रैनसमवेयर को हटाने के बदले फिरौती की रकम मांगी जाती थी। और यह रकम बिटकॉइन में देना होता था। ऐसे खबरें भी आयी की देख के कुछ बड़े कंपनियों ने करोड़ो की फिरौती दी रैनसमवेयर से छुटकारा पाने के लिए।

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आज तक यह पता नहीं चल पाया की कौन लोग थे रैनसमवेयर के पीछे। कंप्यूटर वायरस कोई नई बात नहीं है। नयी बात थी फिरौती की रकम बिटकॉइन में। यह एक वैश्विक समस्या बन गयी क्योंकि बिटकॉइन पर दुनियाँ में किसी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। बिटकॉइन में किसने, किसको, कहाँ से — दिया इसकी कोई जानकारी नहीं होती। अतः बिटकॉइन की फिरौती कौन ले रहा था, नहीं पता चल पाया।

आप के पास अमेरिकन डॉलर है उसके लिए अमेरिका के जनता द्वारा चयनित सरकार के एजेंसी फ़ेडरल रिज़र्व बैंक जिम्मेदार है। एक तरह से अमेरिका के जनता की गारंटी आपके पास है। ठीक यही लागु होता है हमारे देश के मुद्रा पर और दुनिया के अन्य देशों के मुद्रा पर। हिंदुस्तानी मुद्रा रूपया की वैल्यू की गारंटी, 132 करोड़ जनता के द्वारा चयनित केंद्र सरकार पर है। एक तरह से भारतीय रूपया की गारंटी हम भारतीय पर है। लेकिन बिटकॉइन की जिम्मेदारी किसके पास है। किसी को पता नहीं। यह सिर्फ हवा में है, कोई जिम्मेदार नहीं इसके लिए।

भारत में इंटरनेट बैंक के लेनदेन, एक बैंक से दूसरे बैंक के बीच होता एनएफएस यानि की नेशनल फाइनेंसियल स्विच, NEFT, और RTGS के द्वारा। NEFT, RTGS और एनएफएस काम करती है रिजर्ब बैंक ऑफ़ इंडिया के निगरानी में। अतः RBI को हरेक मौद्रिक लेन देन की पूरी जानकारी होती है। ठीक इसी तरह अमेरिका में होने वाले सभी मौद्रिक लेनदेन की निग्राणी फ़ेडरल रिजर्ब करती है। अगर कोई व्यक्ति अमेरिका से भारत में वित्तय धोखा धड़ी करे, तो उसको पकड़ा जा सकता है।

अगर बिटकॉइन, एक निगरानी करने वाले एजेंसी के अंदर होती, तो आसानी से रैनसमवेयर के द्वारा बिटकॉइन फिरौती के पीछे जो भी लोग है, चाहे दुनिया के किसी कोने में हो, आसानी से पकड़ा जा सकता था।

बिटकॉइन को सही ठहराया जाता है यह कह कर की यह मौद्रिक लेन देन की पूर्ण स्वतंत्रता देती है आम जनता हो। पूर्ण स्वतंत्रता एक अच्छा शब्द है लेकिन यह खतरनाक शब्द है। अगर इंसान को पूर्ण स्वतंत्रता से जीने की कला आती हमें राज्य व्यवस्था और अब सरकार की जरूरत ही नहीं होती।

अगर बिटकॉइन के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगायी गयी तो हमारी पूरी व्यवस्था तबाह हो जाएगी। जो भी चीज हमारे आसपास है उसको बनाने के लिए सरकार टैक्स के रकम का इस्तेमाल करती है। अगर बिटकॉइन प्रचलन में आ जाये तो सरकार के लिए टैक्स जमा करना मुश्किल हो जायेगा। क्योकि सारी मौद्रिक लेनदेन सरकारी निगरानी से बाहर होगा। व्यापारी, भ्रस्ट नेता, अपराधी आसानी से हमारी कमाई, देश के बाहर भेज पाएंगे। अपराध बढ़ जायेंगे। दंगे होंगे। सरकार कुछ नहीं कर पायेगी। हमारी जिंदगी, सरकारी तंत्र सब ठप पड़ जायेगा और देश बर्बाद हो जायेगा।

तो क्या क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल को पुरी तरह से बंद किया जाना चाहिए?

अगर कोई किडनैप हो जाये तो इंटरनेट बैंकिंग से तो पैसे नहीं भेजे जाते। नोट दिए जाते है। यही मुख्य बात है। कल जब वही अपराधी फिरौती के रकम का इस्तेमाल करते है तो पकड़े जाते है। क्यों की हरेक चीज का लेखा जोखा है। हरेक नोट का नंबर होता है। क्राइम पेट्रोल प्रोग्राम देखिये, बहुत सारे मामले को पुलिस सुलझती है नोट के लेनदेन की खोजबीन करके। इसीलिए दिक्कत क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी से नहीं। दिक्कत है कि बिटकॉइन का कही कोई लेखा जोखा नहीं है। कहाँ से किसने किसीको दिया कुछ अता पता नहीं है। दुनिया के किसी सरकार को बिटकॉइन में होने वाले लेनदेन की जानकारी नहीं है।

अतः क्रिप्टो करेंसी खतरनाक नहीं है। लेकिन बिटकॉइन है। आपने समाचार पढ़ा होगा की रिलायंस भी डिजिटल या फिर क्रिप्टो करेंसी लाने वाली है। डिजिटल करेंसी से केंद्र सरकार हर साल करीब 25000 करोड़ रुपए बचा पायेगी जो अभी खर्च होते है, नोट छपाई पर और सिक्कों की ढलाई पर। इसीलिए डिजिटल करेंसी से तो फायदा ही है। कोई भी तकनीक लेनदेन के लिए तब तक सही, जबतक उसका लेखा जोखा है, और एक भरोसेमंद संस्था के निगरानी में है

अगर बिटकॉइन खरनाक है तो फिर किस प्रकार ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी सही है

बिटकॉइन लेनदेन के लिए ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती। लेकिन यह ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी के सभी गुणों को प्रयोग में नहीं लाती है। ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी के सिर्फ कुछ ही भाग का इस्तेमाल बिटकॉइन करती है।

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ब्लॉक चैन तकनीक का प्रारूप बहुत सही है। अगर दुनिया भर के सरकार उस प्रारूप को सही नियत से अपनाती है तो क्रांति आ जायेगा व्यवथा में। अगर ब्लॉक चैन तकनीक तो पूरी तरह से इस्तेमाल में लाया जाये तो असरदार है। अगर सिर्फ आधे अधूरे प्रयोग में लाया गया, बिटकॉइन जैसे क्रिप्टो करेंसी के कारण रैनसमवेयर फिरौती की तरह का घटना होगा।

ब्लॉक चैन तकनीक को पूरा लीजिये और उसमें आवश्यकता के अनुसार बदलाव कीजिये। लेकिन मूल तकनीक से बिलकुल छेड़ छाड़ किये बिना। सुरक्षा के और ज्यादा उपाय इस क्रन्तिकारी तकनीक में जोड़ा जा सकता है। लेकिन दिए गए सुरक्षा में बदलाव करना, काफी खतरनाक होगा। कुल मिला के ब्लॉक चैन तकनीक को यहाँ से आगे बढ़ाया जा सकता है। इसे काटा छांटा नहीं जाना चाहिए।

ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी में सभी लेनदेन ​का पूरा लेखा जोखा रखा जाता है। और सरकार भी निगरानी रख सकती है। अतः अब भारत सरकार सहित दुनिया भर के सरकार, ब्लॉक चैन तकनीक को ले कर गंभीर है। दुनिया के बड़े बड़े फाइनेंसियल कम्पनिया और स्टार्टअप, ब्लॉक चैन तकनीक के बहुतेरे इस्तेमाल पर अनुसन्धान कर रही है।

☼ किस तरह काम करती है ब्लॉक चैन तकनीक।

How does Blockchain Technology Work One

ब्लॉक चैन तकनीक के पीछे मूल तत्व है डिजिटल टाइम्स-स्टाम्प यानि की एक लेनदेन के होने के समय को उसके साथ जोड़ देना। जैसे की नाम से ही प्रतीत होता है ब्लॉक चैन तकनीक में, हरेक लेनदेन के लिए एक ब्लॉक जोड़ा जाता है। हरेक ब्लॉक में ये सभी जानकारियाँ सुरक्षित रहती है:-

  1. डाटा
  2. पिछले ब्लॉक का हैश
  3. हैश

How does Blockchain Technology Work Two

डाटा क्या होगा निर्भर करता है कि उस ब्लॉक चैन तकनीक का इस्तेमाल किस लिए किया जा रहा है। ब्लॉक चैन तकनीक की सम्भावनाएं बहुत है। सिर्फ मौद्रिक लेन देन ही नहीं बहुत सारे चीजों में इस्तेमाल हो सकता है। यहाँ तक की वोट दे कर सरकार चुनने में भी।

How does Blockchain Technology Work Block Data

ब्लॉक के डाटा वाले भाग में, एक निश्चित जानकारी होती है साथ ही लेनदेन के समय को जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए बिटकॉइन ब्लॉक चैन में – भेजने वाले, स्वीकार करने वाले और बिटकॉइन रकम की जानकारी रखी जाती है। सारी जानकारी डाटा वाले भाग में जमा होने के बाद, उस ब्लॉक के लिए एक हैश कोड पैदा होता है ।

जो कुछ इस तरह दिखता है:- e58fgir15gtg57g4efig574fjgird58g4durckit25g65d5g8ddumecjf5

How does Blockchain Technology Work hash Code

ठीक इसी तरह से बने पिछले ब्लॉक के हैश को, इस ब्लॉक में जोड़ा जाता है। और इस तरह, हरेक लेनदेन के लिए एक नया ब्लॉक जुड़ता जाता है नोड में।

ब्लॉक चैन तकनीक सुरक्षित इसीलिए माना जाता है कि अगर एक ब्लॉक के डाटा में किसी तरह का परिवर्तन किया गया तो एक नया हैश कोड मिल जायेगा उस ब्लॉक को। अब उसके आगे के ब्लॉक में, जो हैश कोड सुरक्षित किया गया था इस ब्लॉक के लिए, वह मिलान नहीं होगा। जब मिलान नहीं होगा तो किए गए बदलाव भी नहीं माना जायेगा।

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अब चलिए इसको एक उदाहरण से समझते है। ब्लॉक चैन में पहले ब्लॉक को जेनेसिस ब्लॉक कहा जाता है। उसमें पिछले ब्लॉक का हैश कोड शून्य होता है। मान लेते है एक ब्लॉक चैन में अभी तक सिर्फ चार ब्लॉक ही है।

How does Blockchain Technology Work Five

पहला ब्लॉक:- जेनेसिस ब्लॉक

डाटा : अमाउंट 500 रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 000

इस ब्लॉक का हैश : 1A1 ( यह ब्लॉक चैन नेटवर्क पैदा करती है। )

दूसरा ब्लॉक :-

डाटा : अमाउंट 650 रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 1A1

इस ब्लॉक का हैश : 2B2

तीसरा ब्लॉक:- 

डाटा : अमाउंट 150 रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 2B2

इस ब्लॉक का हैश : 3C3

चौथा ब्लॉक:-

डाटा : अमाउंट 8000 रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 3C3

इस ब्लॉक का हैश : 4D4

How does Blockchain Technology Work Six

अब अगर किसी ने, दूसरे नंबर के ब्लॉक के रकम जो 650 रूपए है, को बदल कर 625 रुपए कर दिया तब क्या होगा

पहला ब्लॉक:-

डाटा : अमाउंट 500 रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 000

हैश : 1A1

दूसरा ब्लॉक :-

डाटा : अमाउंट 625  रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 1A1

हैश : 2T2

( डाटा बदला गया, तो नया हैश कोड दिया गया इस ब्लॉक को )

तीसरा ब्लॉक:- 

डाटा : अमाउंट 150 रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 2B2

हैश : 3C3

(लेकिन तीसरे ब्लॉक में दूसरे ब्लॉक का हैश कोड अभी भी वही है)

चौथा ब्लॉक:-

डाटा : अमाउंट 8000 रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 3C3

हैश : 4D4

ज्योंही ब्लॉक डाटा में परिवर्तन हुवा एक नया हैश कोड मिल गया दूसरे नंबर के ब्लॉक को 2T2। लेकिन तीसरे नंबर के ब्लॉक में, दूसरे नंबर के ब्लॉक का हैश कोड अभी भी वही है 2B2 । चुकी 2T2 और 2B2 नहीं मिल रहे अतः परिवर्तन संभव नहीं है।

चलो मान लेते है तीसरे नंबर के ब्लॉक में, दूसरे नंबर के ब्लॉक के नए हैश कोड, डाल देते है ताकि दोनों ब्लॉक, ब्लॉक चैन तकनीक के नियम के अनुसार हो जाये।

पहला ब्लॉक:-

डाटा : अमाउंट 500 रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 000

हैश : 1A1

दूसरा ब्लॉक :-

डाटा : अमाउंट 625  रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 1A1

हैश : 2T2

तीसरा ब्लॉक:- 

डाटा : अमाउंट 150 रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 2T2

हैश : 3P3

( डाटा बदला गया, तो नया हैश कोड दिया गया इस ब्लॉक को )

चौथा ब्लॉक:-

डाटा : अमाउंट 8000 रुपए | टाइम : डेट + टाइम | To : | फ्रॉम :

पिछले ब्लॉक का हेश कोड : 3C3

हैश : 4D4

(लेकिन चौथे ब्लॉक में, तीसरे ब्लॉक का हैश कोड अभी भी वही पुराना वाला है)

How does Blockchain Technology Work Seven

अब देखिए चुकी तीसरे नंबर के ब्लॉक में कुछ परिवर्तन किया गया तो उसे नया हेश कोड दिया गया 3P3। जिसका मिलान नहीं हो रहा है चौथे ब्लॉक में सुरक्षित, तीसरे ब्लॉक के पुराने हैश कोड 3C3 से।  इसलिए यह परिवर्तन, ब्लॉक में स्वीकार नहीं होगा इस ब्लॉक चैन नेटवर्क पर। इसप्रकार, ब्लॉक चेन तकनीक में धोखा धड़ी लगभग असंभव है।

ब्लॉक चेन तकनीक में सुरक्षा के अन्य उपाय

सुरक्षा के लिए मूल तत्व तो हैश कोड विधि है। चुकी कंप्यूटर के दुनिया में कुछ भी संभव है अतः ब्लॉक चेन तकनीक में सुरक्षा के अन्य उपाय भी दिए गए है। उसमें पहला है प्रूफ-ऑफ़-वर्क, जिसके तहत नई ब्लॉक बनने की वक्त को बढ़ा दिया जाता है। जैसे की बिटकॉइन ब्लॉक चेन में नए ब्लॉक बनने में कम से कम 10 मिनट का वक्त लगता है।

How does Block chain Technology Work Proof of Work and Node Verification

ब्लॉक चेन तकनीक की अन्य असरदार सुरक्षा के उपाय है P2P ब्लॉक चेन कॉपी, सभी नोड के लिए। ज्योंही कोई नए सदस्य एक ब्लॉक चेन नेटवर्क में शामिल होता है उसके नोड में – उस नेटवर्क पर अभी तक बने ब्लॉक चेन की पूरी कॉपी जोड़ दी जाती है। जब वह सदस्य एक लेन देन करता है तो जो एक नया ब्लॉक बनेगा, उसका वैरिफिकेशन नेटवर्क में शामिल सभी नोड पर होता है। जब सब कुछ ठीक है तभी नए ब्लॉक तो जोड़ने की स्वीकार्यता होती है।

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वैसे यह स्पस्ट नहीं है कि सरकार किस तरह ब्लॉक चैन तकनीक का इस्तेमाल करेगी। लेकिन मुझे लगता है की नोड वैरिफिकेशन के द्वारा ही – सभी होने वाले मौद्रिक लेनदेन पर निगरानी रखी जाएगी।

स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स हरेक ब्लॉक के लिए एक ब्लॉक चेन नेटवर्क में: स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट फीचर को हाल में ही जोड़ा गया है ब्लॉक चेन तकनीक में। इस नए फीचर के कारण अब ब्लॉक चेन का इस्तेमाल, सेवाएं खरीदने और बेचने के लिए किया जा सकता है।

ऐसे क्षेत्र जो बिलकुल बदल जायेगा ब्लॉक चैन तकनीक के कारण

ब्लॉक चैन तकनीक से बदलाव की पहली बयार बहेगी वित्तीय बाजार में। सबसे ज्यादा उठापटक होगा इसी क्षेत्र में । इसके बाद काफी बदलाव आएंगे सप्लाई मैनेजमेंट के क्षेत्र में। फिर आता है इस तकनीक का इस्तेमाल यातायात के क्षेत्र में। कुछ ही दिन में ऐसा भी वक्त आएगा की विशेषज्ञ लोग, ब्लॉक चैन तकनीक से, अपने हुनर हो बेच पाएंगे। ब्लॉक चैन तकनीक से भविष्यवाणी, सर्वेक्षण, आकलन ज्यादा विश्वशनीय परिणाम देंगे।

और सबसे बढ़ा बदलाव आएगा हमारी सरकार चुनने के तरीके में। लोकतंत्र के मायने बदल जायेंगे। ब्लॉक चैन तकनीक से सुरक्षित डिजिटल वोटिंग संभव होगा। हैरानी नहीं होगी अगर 2050 तक, इलेक्शन कमीशन ब्लॉक चैन तकनीक का इस्तेमाल कम से कम ग्राम पंचायत, नगर पालिका और कारपोरेशन चुनाव में करे तो।

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